तुम्हारे बुने स्वेटर के
उधड़ गये हैं
कुछ फंदे
और अभी बीता नहीं है
महीना भर
तुम्हें गये
बीतेंगी कैसे
यह सर्दियां
मां?
19/3/2011
3/19/2011
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यह एक यात्रा है अपने अंदर कुछ खोजने की । कहा नहीं जा सकता कि यह खोज कहाँ ले जायेगी पर लगता ज़रूर है कि कुछ अ-चिह्नित पड़ाव मैं पह्चान सकूंगा । कोशिश करना मेरा धर्म है, जिग्यासा मेरा हथियार । आशा है कुछ दूर तक आपका साथ रहेगा ।
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