लड़्की जो
फ़ुदक रही है, नुक्कड़ पर
बस के इंतज़ार में
जमीन पर रखे बस्ते के पास
कमर पर दोनों हाथ रखे
भाई के साथ,
खड़ी होगी
किसी और शहर में
किसी और समय
किसी और नुक्कड़ पर
पति को टिफ़िन दे
सबेरे-सबेरे
दफ़्तर रवाना कर
बच्चों की बस के इंतज़ार में
किसी और नुक्कड़ के मकान की ग्रहणी
से बतयाती
जैसे कर रही है उसकी मां
बच्चों को बिठा कर
बस में,
चोंक कर भागती
घर की ओर
कि आ गई होगी
बाई काम वाली
कि आती होगी जमादारनी,
धोबिन,
नहाना धोना बाकी है
पूजा पाठ
घर की साफ़-सफ़ाई
इस सब से अनजान कि
पार्लियामेंट में हो चुकी है
जूतम-पजार
उसे ले कर
उन रोटियों को ले कर
सिंकती नही जो कम से कम
उसके तवे पर
बच्ची कूद रही है
एक टांग पर
अपने पूरे बचपने को ओढ़
सड़क पर
बस के आने के इंतजार में
९/३/२०१०
3/09/2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment