बहुत समय से सुप्त था | अब फिर से आपके सामने हूं | इस बीच कुछ लिखा कुछ पढ़ा या यूं कहे कि बहुत कुछ पढ़ा और थोड़ा बहुत लिखा तो ठीक रहेगा| धीरे -धीरे आपके सामने पेश करूंगा |
यह एक यात्रा है अपने अंदर कुछ खोजने की । कहा नहीं जा सकता कि यह खोज कहाँ ले जायेगी पर लगता ज़रूर है कि कुछ अ-चिह्नित पड़ाव मैं पह्चान सकूंगा । कोशिश करना मेरा धर्म है, जिग्यासा मेरा हथियार । आशा है कुछ दूर तक आपका साथ रहेगा ।
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